हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 1.12.3

कांड 1 → सूक्त 12 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 12
मु॒ञ्च शी॑र्ष॒क्त्या उ॒त का॒स ए॑नं॒ परु॑ष्परुरावि॒वेशा॒ यो अ॑स्य । यो अ॑भ्र॒जा वा॑त॒जा यश्च॒ शुष्मो॒ वन॒स्पती॑न्त्सचतां॒ पर्व॑तांश्च ॥ (३)
हे सूर्य! इस पुरुष को सिर के रोग से छुटकारा दिलाओ. जो खांसी का रोग इस के जोड़जोड़ में प्रवेश कर गया है, उस से भी इसे मुक्त कराओ. वर्षा एवं जल से उत्पन्न जो पित्त के विकार से जनित आदि रोग हैं, उन से इस पुरुष को मुक्त कराइए. ये रोग इस पुरुष को छोड़ कर वनस्पति और पर्वतों में चले जाएं. (३)
O sun! Get rid of this man's head disease. Free it from the cough disease that has entered its joint. Free this man from diseases caused by rain and water, which are caused by bile disorders. These diseases leave this man and go to the vegetation and mountains. (3)