हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 15
सं सं स्र॑वन्तु॒ सिन्ध॑वः॒ सं वाताः॒ सं प॑त॒त्रिणः॑ । इ॒मं य॒ज्ञं प्र॒दिवो॑ मे जुषन्तां संस्रा॒व्ये॑ण ह॒विषा॑ जुहोमि ॥ (१)
नदियां हमारे अनुकूल बहें, पवन हमारे अनुकूल चले एवं पक्षी हमारी इच्छा के अनुसार (गति करें). पुरातन देव मेरे इस यज्ञ को स्वीकार करें, क्योंकि मैं घी, दूध आदि का संग्रह कर के यह यज्ञ कर रहा हूं. (१)
Rivers flow in our favour, the wind moves in our favour and birds move according to our wishes. The ancient God should accept this yajna of mine, because I am doing this yajna by collecting ghee, milk, etc. (1)

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 15
इ॒हैव हव॒मा या॑त म इ॒ह सं॑स्रावणा उ॒तेमं व॑र्धयता गिरः । इ॒हैतु॒ सर्वो॒ यः प॒शुर॒स्मिन्ति॑ष्ठतु॒ या र॒यिः ॥ (२)
हे देवो! आप सब को त्याग कर मेरे इस यज्ञ में पधारें. इस में आज्य आदि का होम है. हे स्तुतियों द्वारा बढ़ाए जाते हुए देवो! आप इस यजमान की वृद्धि करें. हे देवो! हमारी स्तुतियों को सुन कर प्रसन्न हुए आप की कृपा से हमारे घर में गाय, अश्व आदि पशु एवं अन्य संपत्ति निवास करे. (२)
O God! Leave all of you and come to this yagna of mine. In this, there is a home of ajya etc. O Gods, enhanced by eulogies! You increase this host. O God! Pleased to hear our praises, by your grace, live in our house with animals and other property like cow, horse etc. (2)

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 15
ये न॒दीनां॑ सं॒स्रव॒न्त्युत्सा॑सः॒ सद॒मक्षि॑ताः । तेभि॑र्मे॒ सर्वैः॑ संस्रा॒वैर्धनं॒ सं स्रा॑वयामसि ॥ (३)
गंगा आदि नदियों की जो अक्षय धारा एवं झरने सदा बहते रहते हैं तथा ग्रीष्म ऋतु में कभी नहीं सूखते हैं, उन के कारण हमारा समस्त पशु धन सदैव समृद्ध हो. (३)
Due to the inexhaustible streams and waterfalls of rivers like Ganga etc. that always flow and never dry up in the summer season, all our livestock should always prosper. (3)

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 15
ये स॒र्पिषः॑ सं॒स्रव॑न्ति क्षी॒रस्य॑ चोद॒कस्य॑ च । तेभि॑र्मे॒ सर्वैः॑ संस्रा॒वैर्धनं॒ सं स्रा॑वयामसि ॥ (४)
घी, दूध और जल के जो प्रवाह सदैव गतिशील रहते हैं, उन सभी न सूखने वाले प्रवाहों के कारण हमारी सभी संपत्ति बढ़ती रहे. (४)
Due to all the un-drying flows of ghee, milk and water that are always moving, all our wealth should increase. (4)