हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 1.16.2

कांड 1 → सूक्त 16 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 16
सीसा॒याध्या॑ह॒ वरु॑णः॒ सीसा॑या॒ग्निरुपा॑वति । सीसं॑ म॒ इन्द्रः॒ प्राय॑च्छ॒त्तद॒ङ्ग या॑तु॒चात॑नम् ॥ (२)
वरुण देव ने फेन के विषय में कहा है. सीसे जस्ते के विषय में अग्नि ने भी यही कहा है. परम ऐश्वर्ययुक्त इंद्र ने मुझे सीसा प्रदान किया है. इंद्र ने कहा है कि हे प्रिय! यह सीसा राक्षसों का संहार करने वाला है. (२)
Varun Dev has said about fen. Agni has also said the same about lead zinc. Indra, the supreme opulence, has given me lead. Indra has said, "O dear! This lead is going to kill demons. (2)