हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 1.16.3

कांड 1 → सूक्त 16 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 16
इ॒दं विष्क॑न्धं सहत इ॒दं बा॑धते अ॒त्त्रिणः॑ । अ॒नेन॒ विश्वा॑ ससहे॒ या जा॒तानि॑ पिशा॒च्याः ॥ (३)
यह सीसा राक्षस, पिशाच आदि द्वारा डाले जाने वाले विचघ्नों को समाप्त करने वाला है. यह मनुष्यों का भक्षण करने वाले राक्षसों को नष्ट करता है. मैं इस सीसे के द्वारा सभी राक्षसो को पराजित करता हूं. वे राक्षस पिशाची से उत्पन्न हैं. (३)
This lead is going to end the distractions cast by monsters, vampires, etc. It destroys the demons that feed humans. I defeat all the demons with this lead. They are born from the demon Pishachi. (3)