अथर्ववेद (कांड 1)
इ॒तश्च॒ यद॒मुत॑श्च॒ यद्व॒धं व॑रुण यावय । वि म॒हच्छर्म॑ यच्छ॒ वरी॑यो यावया व॒धम् ॥ (३)
हे वरुण! हमारे समीपवर्ती शत्रु द्वारा चलाया हुआ जो आयुध हम तक आता है अथवा दूरवर्ती शत्रु का जो आयुध हमारे ऊपर चलाया जाता है, उसे हम से दूर करो. हमें महान सुख प्रदान करो एवं मंत्र प्रयोग आदि के कारण असफल न होने वाले शरस्त्रस्त्रों से हमें दूर रखो. (३)
O Varuna! Remove from us the weapon carried by our nearest enemy or the weapon of the distant enemy that is agnid on us. Give us great happiness and keep us away from the weapons that do not fail due to mantra use etc. (3)