हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 1.22.3

कांड 1 → सूक्त 22 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 22
या रोहि॑णीर्देव॒त्या॑३ गावो॒ या उ॒त रोहि॑णीः । रू॒पंरू॑पं॒ वयो॑वय॒स्ताभि॑ष्ट्वा॒ परि॑ दध्मसि ॥ (३)
देवों की जो लाल रंग की कामधेनु आदि गाएं एवं मनुष्यों की जो लाल रंग की गाएं हैँ, इन दोनों प्रकार के लाल रंग के रूप और यौवन को ले कर, हे रोगी पुरुष! हम तुझे ढकते हैं. (३)
The red colored Kamdhenu etc. of the gods and the red songs of humans, taking both these types of red color form and youth, O patient man! We cover you. (3)