हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 1.28.2

कांड 1 → सूक्त 28 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 28
प्रति॑ दह यातु॒धाना॒न्प्रति॑ देव किमी॒दिनः॑ । प्र॒तीचीः॑ कृष्णवर्तने॒ सं द॑ह यातुधा॒न्यः॑ ॥ (२)
हे अग्नि देव! आप इन राक्षसों और दूसरों के दोष देखने वाले पिशाचों को भस्म कर दो. हे काले मार्ग वाले अग्नि! दूसरों के प्रतिकूल आचरण करने वाली राक्षसियों को भी आप भस्म कर दें. (२)
O God of Agni! You devour these monsters and vampires who see the faults of others. O agni of the dark path! You should also consume demons who behave against others. (2)