हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 1.31.2

कांड 1 → सूक्त 31 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 1)

अथर्ववेद: | सूक्त: 31
य आशा॑नामाशापा॒लाश्च॒त्वार॒ स्थन॑ देवाः । ते नो॒ निरृ॑त्याः॒ पाशे॑भ्यो मु॒ञ्चतांह॑सोअंहसः ॥ (२)
जो दिशाओं का पालन करने वाले इंद्र आदि चार देव हैं, वे हमें मृत्यु देव के पाशों से छुड़ाएं तथा पापों से हमारी रक्षा करें. (२)
May indra and other four gods, who follow the directions, free us from the traps of the god of death and protect us from sins. (2)