हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 10.1.18

कांड 10 → सूक्त 1 → मंत्र 18 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 10)

अथर्ववेद: | सूक्त: 1
यां ते॑ ब॒र्हिषि॒ यां श्म॑शा॒ने क्षेत्रे॑ कृ॒त्यां व॑ल॒गं वा॑ निच॒ख्नुः । अ॒ग्नौ वा॑ त्वा॒ गार्ह॑पत्येऽभिचे॒रुः पाकं॒ सन्तं॒ धीर॑तरा अना॒गस॑म् ॥ (१८)
हे कृत्या! जादूटोना करने वालों ने तुझे कुशाओं पर, मरघट में अथवा खेत में गुप्त रूप से बनाया है अथवा उन्होंने गार्हपत्य अग्नि पर पाक कर के तेरा निर्माण किया है. मैं अपराधहीन होने के कारण तुझे शक्तिहीन बनाता हूं. (१८)
This is an act! The magicians have secretly made you on the cushions, in the dead, or in the field, or they have made you by cooking on the agni. I make you powerless because you are guiltless. (18)