हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 10.1.20

कांड 10 → सूक्त 1 → मंत्र 20 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 10)

अथर्ववेद: | सूक्त: 1
स्वा॑य॒सा अ॒सयः॑ सन्ति नो गृ॒हे वि॒द्मा ते॑ कृत्ये यति॒धा परूं॑षि । उत्ति॑ष्ठै॒व परे॑ही॒तोऽज्ञा॑ते॒ किमि॒हेच्छ॑सि ॥ (२०)
हे कृत्या! हम तेरी हड्डियों के जोड़ों को जानते हैं. हमारे घरों में अच्छे लोहे से बनी तलवारें हैं. भलाई इसी में है कि तू यहां से शीघ्र ही हमारे शत्रु के समीप चली जा. हम तुझे नहीं जानते. तू यहां क्या चाह रही है? (२०)
O act! We know the joints of your bones. We have swords made of good iron in our homes. It is good that you go from here to our enemy soon. We don't know you. What do you want here? (20)