हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 10.1.21

कांड 10 → सूक्त 1 → मंत्र 21 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 10)

अथर्ववेद: | सूक्त: 1
ग्री॒वास्ते॑ कृत्ये॒ पादौ॒ चापि॑ कर्त्स्यामि॒ निर्द्र॑व । इ॑न्द्रा॒ग्नी अ॒स्मान्र॑क्षतां॒ यौ प्र॒जानां॑ प्र॒जाव॑ती ॥ (२१)
हे कृत्या! मैं तेरी गरदन और पैर काट डालूंगा. तू यहां से भाग जा. प्रजाओं की रक्षा करने वाले इंद्र और अग्नि हमारी रक्षा करें. (२१)
O act! I will cut off your neck and legs. You run away from here. May Indra and Agni, who protect the people, protect us. (21)