अथर्ववेद (कांड 10)
शू॒द्रकृ॑ता॒ राज॑कृता॒ स्त्रीकृ॑ता ब्र॒ह्मभिः॑ कृ॒ता । जा॒या पत्या॑ नु॒त्तेव॑ क॒र्तारं॒ बन्ध्वृ॑च्छतु ॥ (३)
शूद्र के द्वारा निर्मित, राजा के द्वारा निर्मित, स्त्री के द्वारा निर्मित एवं मंत्रों के द्वारा प्रेरित कृत्या अपने बनाने वाले के समीप उसी प्रकार लौट जाए, जिस प्रकार भाइयों के द्वारा विदा की गई पत्नी अपने पति के समीप लौट जाती है. (३)
The act made by the Shudra, made by the king, made by the woman and inspired by mantras should return to her creator in the same way as the wife sent off by the brothers returns to her husband. (3)