अथर्ववेद (कांड 10)
को अ॑स्मि॒न्नापो॒ व्यदधात्विषू॒वृतः॑ पुरू॒वृतः॑ सिन्धु॒सृत्या॑य जा॒ताः । ती॒व्रा अ॑रु॒णा लोहि॑नीस्ताम्रधू॒म्रा ऊ॒र्ध्वा अवा॑चीः॒ पुरु॑षे ति॒रश्चीः॑ ॥ (११)
इस पुरुष में सर्वत्र विद्यमान सागर को और सदा तेजी से बहने वाले जलों को किस ने प्रविष्ट किया है जो लाल, लोहित, तांबई एवं धुमेले रंग के हैं? इन जलों को ऊपर, नीचे और तिरछा जाने की शक्ति किस ने प्रदान की? (११)
Who has entered this man the ocean everywhere and the ever-flowing waters which are red, lohit, copper and smokeless in colour? Who gave these waters the power to go up, down and slant? (11)