हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 10.2.24

कांड 10 → सूक्त 2 → मंत्र 24 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 10)

अथर्ववेद: | सूक्त: 2
केने॒यं भूमि॒र्विहि॑ता॒ केन॒ द्यौरुत्त॑रा हि॒ता । केने॒दमू॒र्ध्वं ति॒र्यक्चा॒न्तरि॑क्षं॒ व्यचो॑ हि॒तम् ॥ (२४)
इस भूमि को किस ने स्थापित किया है तथा द्रौ को इस के ऊपर किस ने स्थित किया है? यह ऊपर का भाग, तिरछा भाग एवं अनेक प्राणियों के लिए हितकारी अंतरिक्ष किस ने बनाया? (२४)
Who has established this land and who has placed Draupadi over it? Who created this upper part, oblique part and a space beneficial for many creatures? (24)