अथर्ववेद (कांड 10)
अरा॑त्यास्त्वा॒ निरृ॑त्या अभिचा॒रादथो॑ भ॒यात् । मृ॒त्योरोजी॑यसो व॒धाद्व॑र॒णो वा॑रयिष्यते ॥ (७)
हे पुरुष! यह मणि शत्रु से, निर्त्ऋति नामक पाप देवता से, जादूटोने के भय से तथा मृत्यु से तुम्हारी रक्षा करे. (७)
O man! May this gem protect you from the enemy, from the sin god called Nirtiti, from the fear of witchcraft and from death. (7)