हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 10.5.7

कांड 10 → सूक्त 5 → मंत्र 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 10)

अथर्ववेद: | सूक्त: 5
अ॒ग्नेर्भा॒ग स्थ॑ । अ॒पां शु॒क्रमा॑पो देवी॒र्वर्चो॑ अ॒स्मासु॑ धत्त । प्र॒जाप॑तेर्वो॒ धाम्ना॒स्मै लो॒काय॑ सादये ॥ (७)
हे जलो! तुम इंद्र के भाग को, जलों के वीर्य एवं दिव्य तेज को हम में स्थित करो. लोक का कल्याण करने के लिए प्रजापति का तेज हम में धारण करो. (७)
O burn! You place the part of Indra, the semen of water and the divine glory in us. For the welfare of the people, wear the glory of Prajapati in us. (7)