अथर्ववेद (कांड 10)
यमब॑ध्ना॒द्बृह॒स्पति॑र्दे॒वेभ्यो॒ असु॑रक्षितिम् । स मा॒यं म॒णिराग॑म॒त्सर्वा॑भि॒र्भूति॑भिः स॒ह ॥ (२८)
बृहस्पति ने असुरों का विनाश करने वाली जिस मणि को देवों के हाथों में बांधा था, वही मणि मुझे समस्त विभूतियों के साथ प्राप्त हुई है. (२८)
I have received the same gem with all the personalities, which Jupiter had tied in the hands of the gods, which destroyed the asuras. (28)