अथर्ववेद (कांड 10)
यत्ते॑ म॒ज्जा यदस्थि॒ यन्मां॒सं यच्च॒ लोहि॑तम् । आ॒मिक्षां॑ दुह्रतां दा॒त्रे क्षी॒रं स॒र्पिरथो॒ मधु॑ ॥ (१८)
हे शतौदना गौ! तेरी चरबी, तेरी हड्डियां, मांस और रक्त तेरे दानदाता को सदा दही, मीठा दूध और घी देते रहें. (१८)
O Shataudana Gau! May your fat, your bones, flesh and blood always give curd, sweet milk and ghee to your donor. (18)