अथर्ववेद (कांड 10)
बाला॑स्ते॒ प्रोक्ष॑णीः सन्तु जि॒ह्वा सं मा॑र्ष्ट्वघ्न्ये । शु॒द्धा त्वं य॒ज्ञिया॑ भू॒त्वा दिवं॒ प्रेहि॑ शतौदने ॥ (३)
हे हिंसा के अयोग्य गौ! तेरे बाल यज्ञ का प्रोक्षणी नामक पात्र बनें तथा तेरी जीभ यज्ञ वेदी का मार्जन करे अर्थात् सफाई करे. हे शतौदना गौ! तू इस प्रकार शुद्ध और यज्ञ के योग्य बन कर स्वर्ग को गमन कर. (३)
O cow unworthy of violence! Your hair should become a vessel called Prokshni of yajna and your tongue should clean the yajna altar i.e. clean it. O Shataudana Gau! In this way, become pure and worthy of sacrifice and go to heaven. (3)