अथर्ववेद (कांड 11)
अग्नेऽज॑निष्ठा मह॒ते वी॒र्याय ब्रह्मौद॒नाय॒ पक्त॑वे जातवेदः । स॑प्तऋ॒षयो॑ भूत॒कृत॒स्ते त्वा॑जीजनन्न॒स्यै र॒यिं सर्व॑वीरं॒ नि य॑च्छ ॥ (३)
हे उत्पन्न होने वाले प्राणियों के ज्ञाता अग्नि देव! तुम परम सामर्थ्य के लिए अरणि मंथन से उत्पन्न होते हो. पृथ्वी आदि की रचना करने वाले सप्त ऋषियों ने तुम्हें ब्रह्मौदन पकाने के लिए उत्पन्न किया था. तुम इस पत्नी को पुत्र, पौत्र आदि वीरों से युक्त धन प्रदान करो. (३)
O God of agni, the knower of beings born! You are born from the churning of the forest for the ultimate power. The Sapta rishis who created the earth etc. created you to cook Brahmaudan. You give this wife wealth with sons, grandsons etc. heroes. (3)