हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 11.10.12

कांड 11 → सूक्त 10 → मंत्र 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 11)

अथर्ववेद: | सूक्त: 10
कुतः॒ केशा॒न्कुतः॒ स्नाव॒ कुतो॒ अस्थी॒न्याभ॑रत् । अङ्गा॒ पर्वा॑णि म॒ज्जानं॒ को मां॒सं कुत॒ आभ॑रत् ॥ (१२)
सृष्टि रचना करने वाले ईश्वर ने केशों, स्नायुओं अर्थात्‌ नसों को और हड्डियों को किस उपादान कारण से बनाया, अंगों, जोड़ों, चरबी और मांस की रचना उस ने कहां से की? (१२)
For what reason did God, who created the creation, create the hair, nerves and bones, from where did He create the organs, joints, fat, and flesh? (12)