हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 11.10.3

कांड 11 → सूक्त 10 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 11)

अथर्ववेद: | सूक्त: 10
दश॑ सा॒कम॑जायन्त दे॒वा दे॒वेभ्यः॑ पु॒रा । यो वै तान्वि॒द्यात्प्र॒त्यक्षं॒ स वा अ॒द्य म॒हद्व॑देत् ॥ (३)
अग्नि आदि देवों की उत्पत्ति से पहले ही ज्ञानेंद्रियां और कमेंद्रियां उत्पन्न हुई. जो उपासक उन देवों को जान सकेगा, वह प्रत्यक्ष ही ब्रह्म का उपदेश करेगा. (३)
Even before the origin of agni etc. gods, senses and senses were born. The worshiper who can know those gods will preach Brahman directly. (3)