हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 11.3.25

कांड 11 → सूक्त 3 → मंत्र 25 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 11)

अथर्ववेद: | सूक्त: 3
याव॑द्दा॒ताभि॑मन॒स्येत॒ तन्नाति॑ वदेत् ॥ (२५)
ब्रह्मौदन सत्र यज्ञ का अनुष्ठान करने वाला मन से जितना फल पाना चाहे, गुरु उस से अधिक फल न बताए. (२५)
The guru should not give more fruit than the person who performs the ritual of Brahmaudan Satra Yagya wants to get from the mind. (25)