हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 11.5.6

कांड 11 → सूक्त 5 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 11)

अथर्ववेद: | सूक्त: 5
न च॑ प्रा॒णं रु॒णद्धि॑ सर्वज्या॒निं जी॑यते ॥ (६)
वह न केवल शरीर में प्राणों की गति को रोकता है, अपितु आयु से सर्वथा हीन हो जाता है अर्थात्‌ अल्प आयु में मर जाता है. (६)
He not only stops the movement of life in the body, but also becomes completely inferior from age i.e. dies at a young age. (6)