हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 11.6.10

कांड 11 → सूक्त 6 → मंत्र 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 11)

अथर्ववेद: | सूक्त: 6
प्रा॒णः प्र॒जा अनु॑ वस्ते पि॒ता पु॒त्रमि॑व प्रि॒यम् । प्रा॒णो ह॒ सर्व॑स्येश्व॒रो यच्च॑ प्रा॒णति॒ यच्च॒ न ॥ (१०)
हे प्राण देव! समस्त प्रजाओं के शरीर में तुम इस प्रकार निवास करते हो, जिस प्रकार पिता अपने वस्त्र से प्रिय पुत्र को ढकता है. प्राण उन सब के स्वामी हैं, जो सांस लेते हैं अथवा सांस नहीं लेते हैं. (१०)
O Life God! You dwell in the bodies of all the people in such a way that the Father covers the beloved Son with His garment. Prana is the master of all those who breathe or do not breathe. (10)