हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 11.7.17

कांड 11 → सूक्त 7 → मंत्र 17 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 11)

अथर्ववेद: | सूक्त: 7
ब्र॑ह्म॒चर्ये॑ण॒ तप॑सा॒ राजा॑ रा॒ष्ट्रं वि र॑क्षति । आ॑चा॒र्यो ब्रह्म॒चर्ये॑ण ब्रह्मचा॒रिण॑मिच्छते ॥ (१७)
ब्रह्मचर्यं रूपी तप से राजा राष्ट्र की रक्षा करता है. आचार्य भी ब्रह्मचर्य के नियम के द्वारा अपने शिष्य को अपने समान बनाना चाहता है. (१७)
The king protects the nation with the tenacity of celibacy. Acharya also wants to make his disciple like him through the rule of celibacy. (17)