अथर्ववेद (कांड 11)
एत॑ देवा दक्षिण॒तः प॒श्चात्प्राञ्च॑ उ॒देत॑ । पु॒रस्ता॑दुत्त॒राच्छ॒क्रा विश्वे॑ दे॒वाः स॒मेत्य॒ ते नो॑ मुञ्च॒न्त्वंह॑सः ॥ (१८)
हे दक्षिण दिशा में स्थित देवो! तुम आओ. चारों दिशाओं में स्थित सभी देव यहां यज्ञ में आ कर हमें पाप से मुक्त करें. (१८)
O God in the south direction! You come. May all the gods located in all the four directions come here in the yagna and free us from sin. (18)