अथर्ववेद (कांड 12)
क्षि॒प्रं वै तस्य॒ वास्तु॑षु॒ वृकाः॑ कुर्वत ऐल॒बम् ॥ (३)
जो क्षत्रिय ब्राह्मण की गाय ले जाता है उस के घरों में शृगाल शीघ्र ही अपने नेत्र घुमाते हैं. (३)
In the houses of the Kshatriya who takes the cow of the Brahmin, the shrigals soon turn their eyes. (3)