हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 12.3.39

कांड 12 → सूक्त 3 → मंत्र 39 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 12)

अथर्ववेद: | सूक्त: 3
यद्य॑ज्जा॒या पच॑ति॒ त्वत्परः॑परः॒ पति॑र्वा जाये॒ त्वत्ति॒रः । सं तत्सृ॑जेथां स॒ह वां॒ तद॑स्तु संपा॒दय॑न्तौ स॒ह लो॒कमेक॑म् ॥ (३९)
हे जाया! तू इस ओदन को पकाती है. यदि तू अपने पति से पहले चली जाए तो तुम दोनों स्वर्ग में मिल जाना. तुम दोनों एक लोक में रहो तथा यह ओदन भी वहां तुम्हारे पास रहे. (३९)
Hey go! You cook this oven. If you go before your husband, you both will meet in heaven. You both live in one world and this odan should also be with you there. (39)