हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 12.4.31

कांड 12 → सूक्त 4 → मंत्र 31 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 12)

अथर्ववेद: | सूक्त: 4
मन॑सा॒ सं क॑ल्पयति॒ तद्दे॒वाँ अपि॑ गच्छति । ततो॑ ह ब्र॒ह्माणो॑ व॒शामु॑प॒प्रय॑न्ति॒ याचि॑तुम् ॥ (३१)
वशा जब इच्छा करती है, तब उस की इच्छा देवताओं के पास जाती है. तब ब्राह्मण वशा को मांगने के लिए उस के पास आते हैं. (३१)
When Vasha desires, her desire goes to the gods. Then brahmins come to vasha to ask for him. (31)