हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 12.4.46

कांड 12 → सूक्त 4 → मंत्र 46 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 12)

अथर्ववेद: | सूक्त: 4
वि॑लि॒प्ती या बृ॑हस्प॒तेऽथो॑ सू॒तव॑शा व॒शा । तस्या॒ नाश्नी॑या॒दब्रा॑ह्मणो॒ य आ॒शंसे॑त॒ भूत्या॑म् ॥ (४६)
हे बृहस्पति! ऐश्वर्य की प्रार्थना करने वाला अब्राह्मण विलिप्ती और सूत वशा और वशा का भोजन न करे. (४६)
O Jupiter! Abrahman, who prays for opulence, should not eat the food of Vilipti and Sut Vasha and Vasha. (46)