हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 12.6.2

कांड 12 → सूक्त 6 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 12)

अथर्ववेद: | सूक्त: 6
ब्रह्म॑ च क्ष॒त्रं च॑ रा॒ष्ट्रं च॒ विश॑श्च॒ त्विषि॑श्च॒ यश॑श्च॒ वर्च॑श्च॒ द्रवि॑णं च ॥ (२)
उस क्षत्रिय के ओज, तेज, ब्रह्म, वाणी, इंद्रियों, लक्ष्मी, धर्म, वेद, क्षात्र शक्ति, राष्ट्र, हवि, यश, पराक्रम, धन, आयु, रूप, नाम, कीर्ति, नेत्र, कान, दूध, रस, अन्न, अग्नि, सत्य, इष्ट, पूर्त, प्रजा आदि सभी छिन जाते हैं. जो ब्राह्मण गौ का अपहरण करता है. वह अपनी आयु को क्षीण करता है. (२)
The oz, tej, brahma, vani, senses, lakshmi, dharma, vedas, kshatra shakti, nation, havi, yasha, might, wealth, age, form, name, fame, eyes, ears, milk, juice, food, agni, truth, ishta, purta, praja etc. of that Kshatriya are all taken away. Who kidnaps a Brahmin cow. He reduces his age. (2)