अथर्ववेद (कांड 12)
अ॑नु॒गच्छ॑न्ती प्रा॒णानुप॑ दासयति ब्रह्मग॒वी ब्र॑ह्म॒ज्यस्य॑ ॥ (१६)
ब्राह्मण की यह गाय ब्राह्मण को हानि पहुंचाने वाले के पीछे चलती हुई उस के प्राणों का विनाश करती है. (१६)
This cow of a Brahmin follows the one who harms the Brahmin and destroys his life. (16)