हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 13.1.22

कांड 13 → सूक्त 1 → मंत्र 22 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 13)

अथर्ववेद: | सूक्त: 1
अनु॑व्रता॒ रोहि॑णी॒ रोहि॑तस्य सू॒रिः सु॒वर्णा॑ बृह॒ती सु॒वर्चाः॑ । तया॒ वाजा॑न्वि॒श्वरू॑पां जयेम॒ तया॒ विश्वाः॒ पृत॑ना अ॒भि ष्या॑म ॥ (२२)
रोहिणी चढ़ते हुए से रोहित अर्थात्‌ लाल वर्ण के सूर्य का अनुगमन करने वाली है. सुंदर वर्ण वाली वह बृहती सुंदर तेज वाली है. उसी के कारण हम विभिन्न रूपों वाले प्राणियों पर विजय प्राप्त करते हैं. उसी के कारण हम सेनाओं को अपने वश में करें. (२२)
Rohini is going to follow Rohit i.e. the red color sun from climbing. She is very beautiful with beautiful color. Because of that, we conquer creatures with different forms. Because of that, we should control the armies. (22)