अथर्ववेद (कांड 13)
रोहि॑तो॒ द्यावा॑पृथि॒वी अ॑दृंह॒त्तेन॒ स्व स्तभि॒तं तेन॒ नाकः॑ । तेना॒न्तरि॑क्षं॒ विमि॑ता॒ रजां॑सि॒ तेन॑ दे॒वा अ॒मृत॒मन्व॑विन्दन् ॥ (७)
सूर्य ने आकाश और पृथ्वी को दृढ़ किया. उसी सूर्य ने दुःखों से रहित आकाश को स्थिर किया. उसी सूर्य ने अंतरिक्ष तथा वन्य सुख लोकों को बनाया. देवताओं ने उसी से अमृतत्व प्राप्त किया है. (७)
The sun strengthened the heavens and the earth. The same sun stabilized the sky without sorrows. The same sun created space and wild pleasures. The gods have attained nectar from him. (7)