हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 14.2.12

कांड 14 → सूक्त 2 → मंत्र 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 14)

अथर्ववेद: | सूक्त: 2
सं का॑शयामिवह॒तुं ब्रह्म॑णा गृ॒हैरघो॑रेण॒ चक्षु॑षा मि॒त्रिये॑ण । प॒र्याण॑द्धंवि॒श्वरू॑पं॒ यदस्ति॑ स्यो॒नं पति॑भ्यः सवि॒ता तत्कृ॑णोतु ॥ (१२)
मैं मंत्रों और नक्षत्रों के द्वारा स्त्रीधन को दीप्त करता हूं. इस में जो विभिन्न प्रकार के पदार्थ हैं, सविता देव उन पदार्थो को प्राप्त करने वालों को सुख देने वाला बनाएं. (१२)
I light up feminine wealth through mantras and constellations. The different types of substances in it, Savita Dev should make those who get those substances happy. (12)