हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 14.2.2

कांड 14 → सूक्त 2 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 14)

अथर्ववेद: | सूक्त: 2
पुनः॒पत्नी॑म॒ग्निर॑दा॒दायु॑षा स॒ह वर्च॑सा । दी॒र्घायु॑रस्या॒ यः पति॒र्जीवा॑तिश॒रदः॑ श॒तम् ॥ (२)
अग्नि देव ने हमें आयु और तेज के साथसाथ पत्नी प्रदान की है. इस का पति दीर्घजीवी हो और सौ वर्ष की आयु प्राप्त करे. (२)
Agni Dev has given us a wife along with age and speed. Her husband should be long-lived and attain the age of 100 years. (2)