अथर्ववेद (कांड 14)
याव॑तीः कृ॒त्याउ॑प॒वास॑ने॒ याव॑न्तो॒ राज्ञो॒ वरु॑णस्य॒ पाशाः॑ । व्यृद्धयो॒ या अस॑मृद्धयो॒या अ॒स्मिन्ता स्था॒णावधि॑ सादयामि ॥ (४९)
उपवस्त्रों में हिंसा करने वाली जो कृत्याएं हैं, राजा वरुण के जितने पाश हैं तथा जो दरिद्रताएं और बुरी अवस्थाएं हैं, उन सब को मैं इस खंभे में स्थापित करता हूं. (४९)
I establish in this pillar all the acts of violence in the weapons, the loops of King Varuna and the poverty and bad conditions. (49)