हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 14.2.62

कांड 14 → सूक्त 2 → मंत्र 62 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 14)

अथर्ववेद: | सूक्त: 2
यत्ते॑प्र॒जायां॑ प॒शुषु॒ यद्वा॑ गृ॒हेषु॒ निष्ठि॑तमघ॒कृद्भि॑र॒घं कृ॒तम्।अ॒ग्निष्ट्वा॒ तस्मा॒देन॑सः सवि॒ता च॒ प्र मु॑ञ्चताम् ॥ (६२)
संतान और पशुओं को दुःखी करने वालों ने तेरे घर में जिस दुःख का विस्तार किया है. उस पाप से सविता और अग्नि तुझे छुड़ाएं. (६२)
The sorrow that those who grieve children and animals have spread in your house. May Savita and Agni rescue you from that sin. (62)