हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 14.2.73

कांड 14 → सूक्त 2 → मंत्र 73 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 14)

अथर्ववेद: | सूक्त: 2
ये पि॒तरो॑वधूद॒र्शा इ॒मं व॑ह॒तुमाग॑मन् । ते अ॒स्यै व॒ध्वै॒ संप॑त्न्यै प्र॒जाव॒च्छर्म॑यच्छन्तु ॥ (७३)
नव वधू को देखने की इच्छा वाले बहुत से लोग इस वरयात्रा को देखेंगे. वे इस वधू के लिए उत्तम सुख प्रदान करें. (७३)
Many people who want to see the bride will see this barat. May they provide excellent happiness for this bride. (73)