हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 15.13.1

कांड 15 → सूक्त 13 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 15)

अथर्ववेद: | सूक्त: 13
तद्‌ यस्यैवं विद्वान्‌ व्रात्य एकां रात्रिमतिथिर्गृहे वसति.. (१)
जिस के घर में ऐसा विद्वान्‌ व्रात्य रात्रि में अतिथि होता है, वह उस के आने के फल से पृथ्वी के सभी पुण्य लोकों पर विजय प्राप्त करता है. (१)