अथर्ववेद (कांड 15)
ये पृथिव्यां पुण्या लोकास्तानेव तेनाव रुन्द्धे.. (२)
जिस के घर में ऐसा विद्वान् व्रात्य रात्रि में अतिथि होता है, वह उस के आने के फल से पृथ्वी के सभी पुण्य लोकों पर विजय प्राप्त करता है. (२)
कांड 15 → सूक्त 13 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation