अथर्ववेद (कांड 15)
ये३न्तरिक्षे पुण्या लोकास्तानेव तेनाव रुन्द्धे. (४)
जिस गृहस्थ के घर में ऐसा विद्वान् व्रात्य रात्रि में निवास करता है, वह गृहस्थ उस के फल के रूप में अंत में स्थित सभी पुण्य लोकों को जीत लेता है. (४)
कांड 15 → सूक्त 13 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation