अथर्ववेद (कांड 15) अथर्ववेद: 15.18.1 | सूक्त: 18 तस्य॒व्रात्य॑स्य ॥ (१) इस व्रात्य का दक्षिण चक्षु आदित्य है. (१) Aditya is the south eye of this vratya. (1)