हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 15.2.6

कांड 15 → सूक्त 2 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 15)

अथर्ववेद: | सूक्त: 2
भू॒तं च॑भवि॒ष्यच्च॑ परिष्क॒न्दौ मनो॑ विप॒थम् ॥ (६)
भूत और भविष्यत-ये दोनों काल उस के रक्षक हैं तथा मन उस का युद्ध संबंधी रथ है. (६)
Both the past and the future are his protectors and the mind is his war chariot. (6)