हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 18.1.57

कांड 18 → सूक्त 1 → मंत्र 57 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 18)

अथर्ववेद: | सूक्त: 1
द्यु॒मन्त॑स्त्वेधीमहि द्यु॒मन्तः॒ समि॑धीमहि । द्यु॒मान्द्यु॑म॒त आ व॑हपि॒तॄन्ह॒विषे॒ अत्त॑वे ॥ (५७)
हे अग्नि! हम तुम्हारा आह्वान करते हैं. तुम्हारी कृपा से हम यशस्वी हो गए हैं. हम तुम्हें प्रदीप्त करते हैं. तुम हमारी हवि स्वीकार कर के उसे भक्षण करने के लिए पितरों के यहां ले आओ. (५७)
O agni! We call on you. By your grace, we have become successful. We illuminate you. You accept our havi and bring it to the ancestors' place to eat it. (57)