हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 18.1.8

कांड 18 → सूक्त 1 → मंत्र 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 18)

अथर्ववेद: | सूक्त: 1
य॒मस्य॑ माय॒म्यं काम॒ आग॑न्त्समा॒ने योनौ॑ सह॒शेय्या॑य । जा॒येव॒ पत्ये॑ त॒न्वंरिरिच्यां॒ वि चि॑द्वृहेव॒ रथ्ये॑व च॒क्रा ॥ (८)
मेरी इच्छा है कि पति को अपना शरीर अर्पण करने वाली पत्नी के समान यम को अपनी देह अर्पित करूं. वे दोनों पहिए के समान मार्ग में एकदूसरे से मिलते हैं. मैं उसी प्रकार की हो जाऊं. (८)
I wish to offer my body to Yama like a wife who offered her body to my husband. They meet each other in the same path as the two wheels. I'll be the same. (8)