अथर्ववेद (कांड 18)
अपा॑गूहन्न॒मृतां॒ मर्त्ये॑भ्यः कृ॒त्वा सव॑र्णामदधु॒र्विव॑स्वते।उ॒ताश्विना॑वभर॒द्यत्तदासी॒दज॑हादु॒ द्वा मि॑थु॒ना स॑र॒ण्यूः ॥ (३३)
मरणधर्मा मनुष्यों से देवताओं ने अपनेअपने अविनाशी रूप अदृश्य कर लिए. उन्होंने सूर्य को अन्य वर्ण वाली स्त्री बना कर दी. सरण्यु ने घोड़ी का रूप धारण कर के अश्विनीकुमारों का पालन किया. त्वष्टा की पुत्री सरण्यु ने सूर्य का घर छोड़ते समय यमयमी के जोड़े को घर पर ही छोड़ा था. (३३)
The gods made their imperishable forms disappear from the deadly human beings. He made the sun a woman of another color. Saranyu took the form of a mare and followed ashwinikumaras. Tvashta's daughter Saranyu left the couple of Yamyami at home while leaving Surya's house. (33)