हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 19.31.12

कांड 19 → सूक्त 31 → मंत्र 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 19)

अथर्ववेद: | सूक्त: 31
ग्रा॑म॒णीर॑सि ग्राम॒णीरु॒त्थाया॒भिषि॑क्तो॒ऽभि मा॑ सिञ्च॒ वर्च॑सा । तेजो॑ऽसि॒ तेजो॒ मयि॑ धार॒याधि॑ र॒यिर॑सि र॒यिं मे॑ धेहि ॥ (१२)
हे उदुंबर मणि! तुम गाय की स्वामिनी हो. तुम हमारी सभी अभिलाषाओं को पूर्ण करो. तुम तेज से अभिषिक्त हो, उठ कर मुझे भी तेज से सिंचित करो. तुम तेज रूप हो, मुझ में भी तेज धारण करो. तुम धन प्राप्त करने वाली हो, मुझे भी धन प्राप्त कराओ. (१२)
O moon! You are the owner of the cow. You fulfill all our desires. You are anointed with speed, get up and irrigate me with speed too. You are a sharp form, wear sharp in me too. You are going to get money, get me money too. (12)