अथर्ववेद (कांड 19)
प्र॒जाप॑तिष्ट्वा बध्नात्प्रथ॒ममस्तृ॑तं वी॒र्या᳡य॒ कम् । तत्ते॑ बध्ना॒म्यायु॑षे॒ वर्च॑स॒ ओज॑से च॒ बला॑य॒ चास्तृ॑तस्त्वा॒भि र॑क्षतु ॥ (१)
हे आस्तृत मणि! सृष्टि के आदि से प्रजापति ने तुम्हें वीरता पूर्ण काम के लिए बांधा था. शरु तुम्हें बाधा नहीं पहुंचा सकते. हे पुरुष! आयु वृद्धि के लिए, दीप्ति के लिए, ओज के लिए तथा बल के लिए मैं तेरे हाथ में शत्रुओं का उपद्रव शांत करने वाली मणि को बांधता हूं. यह मणि तुम्हारी रक्षा करे. (१)
O swami! From the beginning of creation, Prajapati had tied you to heroic work. The beginning can't hinder you. O man! For the sake of life, for light, for energy and for strength, I tie a gem in your hand to calm the troubles of enemies. May this gem protect you. (1)
अथर्ववेद (कांड 19)
ऊ॒र्ध्वस्ति॑ष्ठतु॒ रक्ष॒न्नप्र॑माद॒मस्तृ॑ते॒मं मा त्वा॑ दभन्प॒णयो॑ यातु॒धानाः॑ । इन्द्र॑ इव॒ दस्यू॒नव॑ धूनुष्व पृतन्य॒तः सर्वा॒ञ्छत्रू॒न्वि ष॑ह॒स्वास्तृ॑तस्त्वा॒भि र॑क्षतु ॥ (२)
हे आस्तृत मणि! तुम सावधानीपूर्वक इस धारणकर्ता की रक्षा करती हुई सर्वदा जागरूक रहो. यातुधान अर्थात् राक्षस एवं पणि नाम के असुर तुम्हारी हिंसा न करें. इंद्र ने जिस प्रकार अपने शत्रुओं को रण से भगाते हुए कंपित किया था, उसी प्रकार तुम लुटेरों को कंपित करो. जो संग्राम की इच्छा करते हैं उन सभी शत्रुओं को विशेष रूप से पराजित करो. आस्तृत मणि तुम्हारी रक्षा करे. (२)
O swami! Be aware of this holder while carefully protecting him. Do not commit violence to you, that is, demons and demons. Just as Indra shook his enemies while driving them away from the battlefield, so you should vibrate the robbers. Especially defeat all the enemies who desire war. May the unarmed gem protect you. (2)
अथर्ववेद (कांड 19)
श॒तं च॑ न प्र॒हर॑न्तो नि॒घ्नन्तो॒ न त॑स्ति॒रे । तस्मि॒न्निन्द्रः॒ पर्य॑दत्त॒ चक्षुः॑ प्रा॒णमथो॒ बल॒मस्तृ॑तस्त्वा॒भि र॑क्षतु ॥ (३)
सैकड़ों शत्रु शस्त्र आदि से प्रहार करते हुए तथा प्राणों से हीन करते हुए हिंसा न कर सकें. इंद्र ने शत्रुओं द्वारा हिंसित न होने वाली आस्तृत मणि के मध्य चक्षु, प्राण तथा बल पूर्ण किया. आस्तृत मणि तुम्हारी रक्षा करे. (३)
Hundreds of enemies could not commit violence by attacking with weapons etc. and killing their lives. Indra completed his eyes, life and strength in the midst of a precious gem not being harmed by enemies. May the unarmed gem protect you. (3)
अथर्ववेद (कांड 19)
इन्द्र॑स्य त्वा॒ वर्म॑णा॒ परि॑ धापयामो॒ यो दे॒वाना॑मधिरा॒जो ब॒भूव॑ । पुन॑स्त्वा दे॒वाः प्र ण॑यन्तु॒ सर्वेऽस्तृ॑तस्त्वा॒भि र॑क्षतु ॥ (४)
हे आस्तृत मणि! मैं तुम्हें इंद्र के कवच से आच्छादित करता हूं. वे इंद्र देवों के राजा हुए. सभी देव तुझे अपने कार्यों की सिद्धि के लिए अपनेअपने कवचों से आच्छादित करें. हे आस्तृत मणि! सब देव तुम्हारी रक्षा करें. (४)
O swami! I cover you with Indra's armor. He became the king of Indra devas. May all gods cover you with their own shields to accomplish their actions. O swami! May all gods protect you. (4)
अथर्ववेद (कांड 19)
अ॒स्मिन्म॒णावेक॑शतं वी॒र्या᳡णि स॒हस्रं॑ प्रा॒णा अ॑स्मि॒न्नस्तृ॑ते । व्या॒घ्रः शत्रू॑न॒भि ति॑ष्ठ॒ सर्वा॒न्यस्त्वा॑ पृतन्या॒दध॑रः॒ सो अ॒स्त्वस्तृ॑तस्त्वा॒भि र॑क्षतु ॥ (५)
इंद्र के कवच से सुरक्षित होने के कारण इस आस्तृत मणि के एक सौ एक सामर्थ्य हैं तथा हजारों प्राण अर्थात् बल हैं. तुम बाघ के समान सभी शत्रुओं पर आक्रमण कर के उन्हें पराजित करने में समर्थ बनो. मेरा जो शत्रु तुझ मणि से युद्ध करने की इच्छा करे, वह पराजित हो. हे आस्तृत मणि! सब देव तुम्हारी रक्षा करें. (५)
Being protected from Indra's armor, this insulated gem has one hundred and one powers and thousands of pranas i.e. force. Be able to attack all enemies like a tiger and defeat them. May my enemy, whoever wishes to fight you with mani, be defeated. O swami! May all gods protect you. (5)
अथर्ववेद (कांड 19)
घृ॒तादुल्लु॑प्तो॒ मधु॑मा॒न्पय॑स्वान्त्स॒हस्र॑प्राणः श॒तयो॑निर्वयो॒धाः । श॒म्भूश्च॑ मयो॒भूश्चोर्ज॑स्वांश्च॒ पय॑स्वां॒श्चास्तृ॑तस्त्वा॒भि र॑क्षतु ॥ (६)
ऊपर के भाग में घी से लिए हुए, शहद से युक्त, दूध से संपन्न, सभी देवों से अनुगृहीत होने के कारण हजारों शक्तियों से पूर्ण, इंद्र के कवच से सुरक्षित होने के कारण सौ बलों से संपन्न, मणि धारक पुरुष को अन्न प्रदान करने वाले, सुख देने वाले, सुविधा प्रदान करने वाले, अन्न के दाता तथा दूध आदि देने वाले आस्तृत नाम की इस मणि की सभी देव रक्षा करें. (६)
In the upper part, all the gods should protect this gem named Astra, who is filled with ghee, containing honey, rich in milk, full of thousands of powers due to being attached to all the gods, protected by a hundred forces due to being protected by Indra's armor, who provides food, gives pleasure, facilitates, gives food and milk etc. to the man holding the gem. (6)
अथर्ववेद (कांड 19)
यथा॒ त्वमु॑त्त॒रोऽसो॑ असप॒त्नः स॑पत्न॒हा । स॑जा॒ताना॑मसद्व॒शी तथा॑ त्वा सवि॒ता क॑र॒दस्तृ॑तस्त्वा॒भि र॑क्षतु ॥ (७)
हे साधक! तुम सब से श्रेष्ठ बनो. कोई तुम्हारा शत्रु न बने तथा तुम सभी शत्रुओं का विनाश करो. तुम अपने सजातीय जनों के मध्य में दूसरों को वश में करने वाले बनो. सविता देव मणि बांधने वाले तुम को इसी प्रकार का करें. आस्तृत मणि तुम्हारी रक्षा करे. (७)
O seeker! Be the best of all of you. Let no one be your enemy and destroy all your enemies. You should be the one who subdues others among your homogeneous people. This is how those who tie the Savita Dev gem should do this to you. May the unarmed gem protect you. (7)